कारागार विभाग के अफसरों की कथनी करनी आई सामने
हेडिंग: एक गलती पर निलंबन, दो गलतियों पर मिला प्रमोशन
आईजीआरएस से हुआ शासन की मेहरबानी का खुलासा
कानपुर देहात, नैनी-फतेहगढ़ सेंट्रल से समयपूर्व रिहाई के प्रस्ताव का मामला
पुनीत संदेश
लखनऊ। प्रदेश के मुख्यमंत्री की जीरो टॉलरेंस नीति की शासन में बैठे आला अफसर ही पलीता लगा रहे है। शासन में कारागार विभाग में बैठे आला अफसरों की कथनी और करनी में साफ अंतर देखने का एक मामला प्रकाश में आया है। अधिकारी कहते कुछ है और करते कुछ और ही है। विभाग की दो जेलों में एक ही तरह को दो घटनाएं हुई। एक लापरवाही के लिए अधीक्षक को निलंबित कर दिया गया वही दूसरी घटना में आरोपी अधीक्षक को क्लीन चिट दे दी गई है। क्लीन चिट ही नहीं दोषी वरिष्ठ अधीक्षक को प्रमोशन देकर उपमहानिरीक्षक (डीआईजी) तक बना दिया गया है। शासन की इस कार्रवाई ने अफसरों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
अफसरों की इस कार्यप्रणाली का खुलासा प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री को भेजी गई शिकायत से हुआ है। शिकायत में कहा गया कि वर्तमान समय में प्रदेश के कारागार विभाग में अनुसूचित जाति के कर्मियों का जमकर शोषण किया जा रहा है। उन्हें उन प्रकरणों में जिसमें सामान्य वर्ग के कर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई उन्हीं प्रकरण में दलित अधिकारी के खिलाफ कठोर कार्रवाई का सामना करना पड़ रहा है। इन्हें निलंबित होने के साथ स्थानांतरित होना पड़ रहा हैं। उन्हें उनके पद के अनुरूप तैनाती नहीं प्रदान की जा रही है और वहीं सामान्य वर्ग के अधिकारियों को नियम विरुद्ध संरक्षण प्रदान कर उनके विरुद्ध कोई कार्यवाही नहीं की जा रही है। उन्हें अनुचित लाभ, तैनाती व पदोन्नति प्रदान की जा रही है।
पत्र में कहा गया है कि अनुसूचित जाति के राजेंद्र कुमार जेल अधीक्षक के पद पर कानपुर देहात जेल पर तैनात थे। अनुसूचित जाति का अधिकारी होने के कारण उन्हें एक सिद्धिदोष महिला बंदी की समयपूर्व रिहाई का गलत प्रस्ताव शासन को भेज दिया। इस मामले में उन्हें निलंबित कर दिया गया। वहीं इससे पूर्व इसी प्रकार की गलती करने वाले सामान्य वर्ग के वरिष्ठ अधीक्षक प्रेमनाथ पांडे ने नैनी केंद्रीय कारागार पर तैनात रहते हुए सिद्धदोष बंदी दिनेश कुमार पांडे के समयपूर्व रिहाई का गलत प्रस्ताव शासन को भेजा था। इसी प्रकार फतेहगढ़ केंद्रीय कारागार में तैनात रहने के दौरान सिद्धदोष बंदी ख़ेम सिंह उर्फ माना पुत्र भारत सिंह के समयपूर्व रिहाई का गलत प्रस्ताव शासन को भेजा था। वरिष्ठ अधीक्षक प्रेमनाथ पांडे के सामान्य वर्ग का होने की वजह से उनके विरुद्ध कोई कार्रवाई नहीं की गई, और कार्रवाई करने के बजाए उन्हें कानपुर रेंज के डीआईजी साथ कारागार मुख्यालय का अतिरिक्त प्रभार भी दे दिया गया। इसके साथ ही उन्हें अनुसूचित जाति के निलंबित अधीक्षक राजेंद्र कुमार की विभागीय कार्रवाई का जांच अधिकारी भी बनाया गया। इस प्रकार जिस गलती को एक बार करने पर अधीक्षक राजेंद्र कुमार को निलंबित किया गया। उसी गलती को दो बार करने वाले सामान्य जाति के वरिष्ठ अधीक्षक के विरुद्ध किसी प्रकार की कोई कार्रवाई करने के बजाए उन्हें डीआईजी के पद पर प्रोन्नति कर दिया गया। इस संबंध में प्रमुख सचिव कारागार अनिल गर्ग से काफी प्रयासों के बाद भी संपर्क नहीं हो पाया।
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कार्यवाही में नहीं होता किसी प्रकार का भेदभाव
शासन को समयपूर्व रिहाई का एक गलत प्रस्ताव भेजने पर अधीक्षक का निलंबन और समयपूर्व रिहाई के दो गलत प्रस्ताव भेजने पर कार्रवाई के बजाए वरदान दिए जाने के संबंध में जब मुख्यमंत्री के पोर्टल (आइजीआरएस) पर शिकायत की गई तो वहां से बड़ा ही चौंकाने वाला जवाब मिला है। कारागार मुख्यालय के डीआईजी मुख्यालय के मुख्यमंत्री के विशेष सचिव को भेजे गए जवाब ने शासन की कथनी और करनी को उजागर कर दिया। जवाब में कहा गया है कि विभाग के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों का स्थानांतरण, नियुक्ति एवं विभागीय कार्रवाई आदि प्रकरण सरकार की निर्धारित नीति, नियमों/ नियमावली में दी गई व्यवस्थानुसार निष्पक्षतापूर्वक निस्तारित किए जाते हैं। किसी व्यक्ति विशेष का समर्थन अथवा भेदभावपूर्ण कार्यवाही नहीं की जाती है।
Created On: March 07, 2025